Sunday 24 May 2020

आप की कामयाबी का रास्ता और की कामयाबी से होकर गुजरता है

आज का विषय बहुत ही खास विषय हैआज के विषय में हमने बात की है कामयाबी की कामयाबी किसे नहीं चाहिए हर व्यक्ति कामयाब होना चाहता है और कामयाबी पर सबका अधिकार भी है

परंतु इस प्रकृति में कामयाबी के कुछ रहस्य छुपे हैं कुछ नियम है जिनका हमें पालन करना है उनको समझना है।
तभी हम कामयाब हो सकते हैं आज मैं आपके साथ कामयाबी के कुछ रहस्यात्मक नियमों पर चर्चा करना चाहूंगी आप भी इस चर्चा पर अपना मत व्यक्त करें।

कभी आपने सोचा है एक कामयाब व्यक्ति के पीछे उसकी कामयाबी का क्या रहस्य  रहा होगा। मुझे भी यह बात काफी समय बाद समझ आई कामयाबी का एक नियम है दूसरों को कामयाब करना यह 100% सत्य है और बहुत बड़ा रहस्य है प्रकृति का, मैं इस बात को सिद्ध कर सकती हूं।

        एक शिक्षक कब बहुत कामयाब माना जाता है ??जब उसके शिष्य भी उसी की तरह कामयाब होते‌ है। जब हमें पता चलता है यह बच्चा इस शिक्षक से पढ़कर अव्वल अंको से उत्तीर्ण हुआ हैं तो इसके पीछे क्या नियम लागू होता है शिक्षक ने अपने शिष्यों को कामयाब किया, तो वह भी कामयाब हो गया उसके पास और बच्चे आए सीखने के लिए वह शिक्षक यह नहीं सोचता कि मैं अगर अपनी शिक्षा को अपने शिष्यों में बांट दूंगा तो मेरा ज्ञान खत्म हो जाएगा अपितु अपने शिष्य को कामयाब करने पर एक शिक्षक की भी प्रसिद्धि बढ़ती है हम जब भी कोई कार्य करें तो हमें यह बात अवश्य ध्यान रखनी चाहिए कि हमारी वजह से दूसरों की भलाई जरूर हो
        एक व्यापारी तभी कामयाब होता है जब वह खुद के मुनाफे से पहले अपने कस्टमर के बारे में सोचें। आज के समय में वही कंपनी ब्रांड बनती है जो अपने कस्टमर को क्वालिटी सर्विस देते हैं इसके पीछे भी यही नियम लागू होता है कोई भी कंपनी पहले अपने कस्टमर्स को क्वालिटी सर्विस देती है जिससे उनकी कामयाबी जुड़ी होती है।click here buy gulaab jamun

        कभी किसी प्रसिद्ध डॉक्टर के बारे में सोचिए जो अपने मरीजों को ठीक करने के लिए उनके साथ दिमाग से नहीं दिल से जुड़ता है अपने हर मरीज को ठीक करने के लिए वह मेहनत करता है उनकी जटिल समस्याओं को सुलझाता है मरीज को ठीक करना उसका सर्वप्रथम कर्म है उसका एक ही कर्म होता है कि उसे उस मरीज को ठीक करना है मतलब उसको शारीरिक रूप से कामयाब करना है और जब मरीज ठीक हो जाता है तो मरीज ठीक  होने के बाद उस अच्छे डॉक्टर के विषय में और लोगों से बताता हैं जिससे डॉक्टर को कामयाबी मिलती है
        सोचिए आप किसी कंपनी में कार्यरत है जब आप कंपनी के लिए अच्छा कार्य करते हैं जिससे कंपनी की ग्रोथ होती है तो वह कंपनी भी आपके ग्रोथ का ख्याल रखती है तो जब आपने कंपनी को कामयाब किया तो कंपनी ने भी आपको कामयाब किया


इस विषय पर गहनता से विचार करिएगा और सोचिए की दूसरों को फायदा पहुंचा कर हमें क्या फायदा है इस संदर्भ में आप भी अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं



Thursday 21 May 2020

Mental pollution

Mental pollution

How many types of ideas arise in our brain every day are positive and negative. Have you ever thought? What effect does these ideas have on our brain?

Positive thoughts keep us mentally healthy and happy, but the negative thoughts are so frightening, which make our brain infertile.

we will talk about mental pollution due to negative thoughts generated in a similar way. You must have heard about various types of pollution such as air pollution, water pollution, land and sound pollution etc. But you will never heard about mental pollution.

Pollution is not good for our health. Now the question arises, how does mental pollution arise? How it can be harmful ? And how can it be avoided?

One of the following reasons for mental pollution is. - The arrival of bad ideas in the brain,

which causes  mental pollution. Today all people are busy in themselves or their work. that's why they are not paying attention towards their teenager, who are mostly suffering from this problem. They are unable to pay attention. Adolescence is that condition and time, in which the social and personality of the child is developed.

At this time there is a passion in adolescents, this passion needs to give the right direction to showcase their talent in a right frame.

Where both parents are working, they can not pay more attention to their teenage children, due to which the child lives alone or spend his/her maximum time on social networking sites, the child's mind may be distracted by the these sites due to availability of good or bad content too. Some wrong activities from the social networking site bring bad  ideas in their mind. It is not only problem of adolescents, anyone can be victim of this .

KHALI DIMAG SHAITAAN KA GHAR HOTA HAI

this statement is absolutely true because if a thief is a lie, and if someone can murder anyone. About all the rape case which we read every day all the trap because of mental pollution.

Bad imapacts of mental pollution.

- The child can go on the wrong path.

-  Mental development is low.

-  Negative impact on their studies.

-  Children do not respect elders.

-  Do not follow the command and discipline becomes inferior.

-   If there is no discipline in life, the child can not achieve his goal.

-   Anger is a natural

-Do not decide right and wrong. 

How can we resolve this issue

   -  We should spend time with them.

    -  We can keep them busy in some work, such as their choice like - football it make person physical or mentally fit.

-  We Can motivate them for art it increases creativity.

-  If they like technology, then guide them. How can it be used correctly?

-  Provide them  good books  to read so that they get positive thoughts in their mind to move forward.

Discussion on mental pollution will continue, you can also express your views about mental pollution.


Wednesday 20 May 2020

How does mental pollution affects our brain??

Yes, our thoughts can be harmful, thoughts affects not just our brain but our entire body. Worry, anxiety, depression etc. could cause serious neurological problems, clouded thinking causes harm in one's progress in life, eventually leading to health issues it can create either mental imbalance or physical or may be both.

Fear of failure or fear of losing your belongings or to satisfy one's ego have harmful effects in the long run.

We are what we think and what we think defines a lot about our health. Many medical studies have proved that our negative thoughts lead to anxiety and depression which effect the hormones and eventually all organs, that are already stressed due to wrong diet, starts to malfunction resulting into blood pressure, diabetic, heart issues, thyroid and many more. 


Mental pollution is another term to unwanted thoughts, negative thoughts and over thinking. These pollution leads to Anger, jealousy, greed, lust and affection. However when used in wrong way it creates more problems.

Mind is instrument through which we see, sense, talk, smell and hear. So mind is directly responsible for our emotional and physical well-being.



मानसिक प्रदूषण


प्रतिदिन हमारे मस्तिष्क में कितने प्रकार के विचार उत्पन्न होते हैं सकारात्मक व नकारात्मक। कभी आपने सोचा है? इन विचारों से हमारे मस्तिष्क पर कैसा प्रभाव पड़ता है?

Discover latest Indian Blogs सकारात्मक विचार हमें मानसिक रूप से स्वस्थ व खुश रखते हैं परंतु नकारात्मक विचार उतने ही भयावह होते हैं जो हमारे मस्तिष्क की उपजाऊता व विकास को शून्य पर लाकर रख देते हैं आज हम इसी तरह से उत्पन्न नकारात्मक विचारों से होने वाले मानसिक प्रदूषण के विषय में बात करेंगे।

आपने विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के बारे में सुना वह पढ़ा होगा जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, थल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण इत्यादि।

परंतु कभी आपने मानसिक प्रदूषण के विषय में नहीं पढ़ा होगा। प्रदूषण कोई भी हो हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। अब प्रश्न उठता है मानसिक प्रदूषण उत्पन्न कैसे होता है? उसके क्या कुप्रभाव हो सकते हैं? और इससे कैसे बचा जा सकता है?


मानसिक प्रदूषण के निम्न कारणों में से, एक कारण है।- मस्तिष्क में बुरे विचारों का आगमन, जो हमारे मानसिक प्रदूषण का कारण बनता है। और आज के व्यस्त जीवन में जहां सब खुद में और काम में इतना व्यस्त हैं, कि उनके आसपास किशोरावस्था के बालक जो इस समय इस समस्या से सबसे अधिक ग्रस्त हैं। उन पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।

किशोरावस्था वह अवस्था व समय होता है, जिसमें बालक का सामाजिक और व्यक्तित्व का विकास होता है। इस समय किशोरों में एक जुनून भी होता है कुछ कर दिखाने का इस जुनून को सही दिशा देने की जरूरत है आप सभी अपने बच्चों के लिए ही यही चाहते होंगे ना।



जहां माता-पिता दोनों कार्यशील होते हैं तो वह अपने किशोर बालकों पर उतना ध्यान नहीं दे पाते जिस कारण बालक ज्यादा समय अकेले रहते हैं या अपना समय सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिताते हैं सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बालक का मन विचलित हो सकता है वह सोशल नेटवर्किंग साइट से कुछ गलत गतिविधियों का हिस्सा बन सकता है  यह समस्या आज के आधुनिक समय में सबसे ज्यादा किशोरों  में है। मन में बुरे विचार सिर्फ किशोरों के मन में ही नहीं आते इसका शिकार तो हम सब हैं कहते हैं ना खाली दिमाग शैतान का घर होता है यह कथन बिल्कुल सत्य है क्योंकि अगर कोई चोर है, कोई झूठ बोलता है, और अगर कोई किसी का मर्डर कर सकता है।हम आए दिन कितने सारे रेप केस के बारे में पढ़ते हैं तो यह सब मानव की खराब मानसिकता के कारण ही तो होता है अगर इस खराब मानसिकता को ही खत्म कर दिया जाए तो इसके परिणाम सकारात्मक होंगे लोगों को ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षित किया जाए इससे बचने के लिए।

 

 मानसिक प्रदूषण के कुप्रभाव निम्नलिखित है।-

  • बालक गलत रास्ते पर जा सकते हैं।

  • मानसिक विकास कम होता है।

  • पढ़ाई लिखाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

  • बच्चे बड़ों का सम्मान नहीं करते।

  • आज्ञा का पालन नहीं करते और अनुशासन हीन बन जाते हैं। जीवन में अनुशासन ना हो तो बालक अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाते।

  • क्रोध आना स्वभाविक है।

  • सही और गलत का फैसला न कर पाना।

  • झूठ बोलना।

किशोरावस्था में इस प्रकार के मानसिक प्रदूषण से बचाने के लिए क्या करें।-

  • हमें अपने किशोर बालकों से ज्यादा से ज्यादा बातें करनी चाहिए उनके साथ समय बिताना चाहिए।

  • उन्हें किसी न किसी कार्य में व्यस्त रख सकते हैं जो उनकी पसंद का हो जैसे- फुटबॉल इससे शारीरिक विकास भी होता है और मानसिक स्फूर्ति भी आती है।

  • कला करने के लिए उन्हें प्रेरित कर सकते है।  इससे मन प्रसन्न होता है और सृजनात्मक बनता है

  • उनको मेडिटेशन करने के लिए प्रेरित करें इससे दिमाग शांत रहता है वह तेज होता है

  • अगर उन्हें टेक्नोलॉजी पसंद है तो उनका मार्गदर्शन करें टेक्नोलॉजी को सही रूप से कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।क्योंकि आज के युग में हम अपने बालकों को टेक्नोलॉजी से वंचित भी नहीं रख सकते।

  • उनको अच्छी किताबें पढ़ने के लिए ताकि उनके मन में सकारात्मक विचार आए उनको उत्साहित करें आगे बढ़ने के लिए।  

  •    मानसिक प्रदूषण पर चर्चा जारी रहेगी मानसिक प्रदूषण को लेकर आप भी अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं

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लेखिका मेघा जैन

Monday 20 November 2017

Secret of space

Can a lifeless person give birth to a living creature? So how can this earth be non-living thing??

 

Life on Earth has been from the millions of years.  The development of the tress depends on the fertile soil and the soil is part of the earth. If there is no fertile soil then the trees will not exist, how can the earth become uninhabited?

 

The symptoms of the living being or creature:
1. A living creature can give birth to a living being. The existence of trees, animals, and humans on Earth indicates the existence of the living Earth.
2. There is a life process of breathing even while sleeping, every living being breathe. Earth is also breathing through trees roots these acts as lungs.

3. Every living being has life process of movement of 24 hours. However, the earth does not stop at any moment and keeps on rotating around the sun.
4. In living organisms, there is a life process of digestion. Similarly, earth ingest lifeless trees, plants and humans as food, and emits gasoline and other minerals in the emission process.



 


5. Living being comprises of 70% water. Even on Earth, 70 percent of the earth is covered with water.
6. The smallest unit of living being is the cell. Human, animals, birds all are similar on cellular level on such a huge giant earth.
7. The life process of reproduction begins in humans at age of 13 to 14 years and after getting mature give birth to the baby. Similarly, it appears that in all the planets, only the earth has matured, and all the rest of the planets are still in infancy or adolescent stage (like Mars planet).
8. Living animals take in oxygen and release carbon dioxide. Similarly, the earth takes in carbon dioxide through the tree and releases oxygen, if there is no tree then life on earth will not be possible. If there is no tree, then the earth will not live nor will any organism survive.

9. Today, man has made such progress in scientific technology, so many instruments as microscopes have been created, so that man can see the subtle creatures from the microscope. Humans know that there is existence of micro-organisms, but do the micro-organisms know that such a large organism can also exist. Similarly we are like a micro-organisms on earth, maybe we are so subtle creatures that we are unable to imagine such a large creature. But the Earth can see the micro-organisms like us but we cannot see earth as a living being.

10. Sun is a star and earth is revolving around the sun but there is life on only on Earth, so there can be many stars in the sky, maybe there are other planets revolving around other stars and there can be possibility to having life in another solar system.

11. As we live in society, like all animals live in forest, all birds live on trees similarly all planets live in space.

12. A lice live on human body do they know about human life? In the same way, there is a man who is making a house on earth and he does not know that earth can be living?

 

- Writer Megha Jain (vrutika)




Tuesday 20 June 2017

रहस्यमयी सफलता की कुंजी विद्यार्थी सफलता तक कैसे पहुंचे??

प्रिय विद्यार्थियों इस अंक में हम लक्ष्य की बात करेंगे| लक्ष्य कैसे स्थापित करें ? और उस तक कैसे पहुंचे ? क्या आप जानते हैं लक्ष्य क्या होता है? हम सभी लोग किसी न किसी बात का स्वप्न संजोकर रखते हैं| किसी को कक्षा में प्रथम आना है| किसी को जीवन में ऊंचाई हासिल करनी है| तो किसी को अपना मनपसंद व्यवसाय शुरू करना है| लक्ष्य तो कुछ भी हो सकता है| यदि हम किसी बच्चे से पूछेंगे तो हो सकता है उसके लिए लक्ष्य किसी खिलौने को पाना हो| उम्र के हिसाब से लक्ष्य अलग-अलग हो सकते हैं| हम लक्ष्य को तीन वर्गों में बाटेंगे|
   एक से पांच वर्ष , छह से सोलह वर्ष, सत्रह वर्ष से ऊपर |
1 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों का ज्यादातर लक्ष्य किसी खिलौने को पाना होता है | जैसे कि किसी बालक ने दुकान पर कोई खिलौना देखा और उसके लिए चिल्लाना शुरु कर देते हैं अतः माता-पिता को बालक की जिद के सामने घुटने टेक कर बालक को खिलौना दिला देते हैं | तथा वह बालक अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है |  99% इस आयु वर्ग के बालक लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं |
6 से 16 वर्ष की आयु के बालक 10% लक्ष्य की प्राप्ति करते हैं! ऐसा क्यों है ? अचानक इतनी गिरावट क्यों ?? उसका कारण यह है , कि बालक के मस्तिष्क का विकास काफी हद तक हो चुका है | बालक सोचना विचारना शुरू कर देते हैं| इस उम्र में बालको पर सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रकार की बातों का असर पड़ने लगता है|  नकारात्मक बातों का ज्यादा असर होता है| छोटी आयु में बालक को सिर्फ खिलौना मांगने से मतलब होता है| और उसको पता है जिद करने पर यह मिलेगा ही, तो वह तब तक अभ्यास करता है जब तक नहीं मिलता | परंतु थोड़ी बड़ी आयु के बालक सोचते हैं जिद करी तो पिटाई भी हो सकती है जिस कारण वह अभ्यास शुरू करते हैं परंतु जल्दी खत्म भी कर देते हैं !
  इस पड़ाव से शुरू होती है उल्टी गिनती इस बात को समझने की कोशिश कीजिए कक्षा 3 ,4 ,5  तक के विद्यार्थियों का लक्ष्य कक्षा में प्रथम आना नहीं होगा उनका लक्ष्य साइकिल लेना, फुटबॉल लेना, या घड़ी लेना हो सकता है या फिर कोई गेम ! माता-पिता उनके लक्ष्य को लालच में तब्दील कर देते हैं| यदि प्रथम आओगे तो यह पुरस्कार मिल जाएगा परंतु पुरस्कार मिलने के लिए 1 वर्ष का समय लगेगा ! इस बात को याद नहीं रखेगा कई बार ऐसा होता है कक्षा में प्रथम नहीं आया तो भी माता पिता पुरस्कार दिला देते हैं | तो बालक के लिए मेहनत करना जरुरी नहीं रह जाता | उसके लिए लक्ष्य की महत्वता कम हो जाती है | ऐसा क्यों होता है ? इसका कारण यह है कि हम बालक को लक्ष्य तो दे देते है |पर उसको लक्ष्य हासिल करना नहीं सिखाते है ! बालक को लंबे समय का लक्ष्य ना दें बालक को रोज एक लक्ष्य दे जैसे साइकिल का चित्र उसके कमरे में चिपका दे ! और उसको बोलें कि यदि आपको यह साइकिल चाहिए तो आपको 3650 रुपए कमाने होंगे यह साइकिल खरीदने के लिए उसको रोज एक पाठ याद करना है या फिर रोज आपको होमवर्क कंप्लीट करना है जिसके लिए आपको ₹10 मिलेंगे ! आपके अकाउंट में जमा कर दिए जाएंगे| और जब आपके पैसे पूरे हो जाएंगे तो आपको आपकी साइकिल मिल जाएगी | इससे बालक नियमित रूप से रोज कार्य करेंगे मन लगाकर पढ़ेंगे | यह बात कक्षा पांच तक लागू होती है|
  कक्षा 6 से बालक अपना लक्ष्य बनाना शुरु कर देते हैं| परंतु समझ नहीं पाते कैसे पूरा करें ? जिस कारण वह असफल हो जाते हैं कक्षा पांच तक माता पिता  बालकों की मदद करें लक्ष्य बनाने में, उसके बाद कक्षा 6 से उनकी मदद करें लक्ष्य पूरा करने मे, समझिए कक्षा छह के बालक अपना लक्ष्य बनाया कक्षा में प्रथम आने का तो माता-पिता बालक को प्रथम आने के तरीका बताएं कैसे पाठ्यक्रम को छोटे छोटे हिस्से करके समाप्त करें कैसे पाठ्यक्रम को पूरा समझे ? ध्यान कैसे लगाएं?  बालक को समस्या ना बताएं जैसे कि यदि वह गणित में कमजोर है तो उससे उल्टा प्रश्न ना करें कि आप कैसे सफल हो पाएंगे ? नकरात्मक प्रभाव ना डालें कि आप से तो होगा कि नहीं इससेे बालक लक्ष्य को  बीच में ही छोड़ सकता है | बालक को समाधान बताएं कि गणित कैसे अच्छी करे ?  यदि आपको भी कुछ हल कुछ ना समझ में आए तो शिक्षक से संपर्क कर सकते है| हो  सकता है बालक को घर पर तो  पूरा सहयोग मिलता हो  परंतु कक्षा में अन्य विद्यार्थी उसको चिढ़ाते हो जिससे उसका मनोबल टूट सकता है तो भी आपको ही सहयोग देना है | कि कोई कुछ भी कहे उसे फर्क ना पड़े लक्ष्य की और बढ़ता रहे | जीवन की छोटे छोटे लक्ष्य ही बड़े  लक्ष्यों का रूप लेते है| एक बार बालक को लक्ष्य पूरा करने की आदत हो जाएगी तो  वह जीवन में कोई भी कार्य अधूरा नहीं छोड़ेगा !!
  यहां आपको एक उदाहरण देना चाहूंगी | माता-पिता के तौर पर आप अपना बचपन याद कीजिए जब आप स्कूल क्या कॉलेज में होंगे आपके अंदर जुनून होगा कुछ कर दिखाने का परंतु यह जुनून धीरे-धीरे वक्त के साथ फीका पड़ जाता है | जब उचित निर्देश पर मार्गदर्शन नहीं मिल पाता | शादी के बाद जब खुद के बालक होते हैं तो वह सपने पूरा करने का बोझ बालकों को दे देते हैं ! परंतु  उनकी मदद नहीं करते लक्ष्य पूरा करने में , शायद कक्षा में प्रथम आना व साइकिल खरीदना आपको छोटी बात लगे परंतु यह बड़े लक्ष्य की शुरुआत हो सकती है ! आपके लिए लक्ष्य सिर्फ पढ़ लिखकर अच्छा कमाना होगा परंतु खुद ही सोचिए यदि शिशु बिना गिरे चलना सीख जाए | आप घर से निकले बिना ऑफिस पहुंच जाएं | खाने की तैयारी किए बिना आपका खाना तैयार हो जाए ऐसा संभव नहीं है!  जब तक छोटे-छोटे कार्य नहीं करेंगे तो बड़ा कार्य कैसे पूरा होगा यदि आप आलू बनाना चाहते हैं तो पहले आपको बाजार जाना होगा, आलू खरीदने होंगे लाकर छीलनेे होंगे, फिर काटना होगा, तथा आलू को छोकना होगा तब जाकर आलू बनेंगे अगर छोटे कार्य पूरे ना किए होते तो आलू ना बनते | इसी प्रकार अपने बालक को भी लक्ष्य प्राप्त करने की आदत डालें ताकि वह बड़े सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ सके | 17 वर्ष से ऊपर की आयु में लक्ष्य प्राप्ति 1% से भी कम हो जाती है इसका क्या कारण है जब बालक विद्यालय में होता है तो वह लक्ष्य हासिल करने में असफल रहता है तो उसे यकीन हो चलता है कि उसके साथ कुछ भी अच्छा नहीं होगा या फिर वह सिर्फ एक औसत जीवन ही जी सकता है 16 वर्ष की आयु में जब बालक स्कूल से कॉलेज की ओर कदम बढ़ाते हैं तब तक उनका आधे से ज्यादा विश्वास खत्म हो चुका होता है बड़ा दुख होता है जब 18 वर्ष की आयु से कोई युवा 7000 से 8000 की नौकरी करने की तलाश करते हैं पार्ट टाइम जॉब के लिए , क्योंकि कहीं ना कहीं उनको लक्ष्य को प्राप्त करना बस एक सपना लगता है यदि वह कोई सपना देखते भी हैं तो उनको लगता है पूरा होगा भी या नहीं इसलिए जरूरी है यह विश्वास बचपन से ही पैदा कर दिया जाए बाल को में!
   इस अंक में मैं आपको लक्ष्य प्राप्ति के कुछ टिप्स दूंगी ताकि आप जो कुछ भी करते हो उसे बेहतर बनाने में आपको मदद मिले इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना भी पड़ेगा यदि आप सच में अपना जीवन बदलना चाहते हैं     1. कुछ पाने के लिए कुछ खोना जरुरी है
2. बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छोटे छोटे लक्ष्य बनाएं
3. जिद्दी बन जाए
4. ट्रायल एंड एरर करें
5. अभ्यास हमेशा करें
6. जैसा बोते हैं वैसा पाते हैं यह प्रकृति का नियम है


* पहले नियम को समझे कुछ पाने के लिए कुछ खोना जरुरी है इस बात को कुछ उदाहरणों से समझे
जैसे यदि आप पिज़्ज़ा तो आपको कुछ रुपयों की रुपयों को खोना पड़ेगा यदि आप अच्छा व स्वादिष्ट खाना खाना चाहते हैं तो उसमे समय व मेहनत दोनों को खोना पड़ेगा यदि कहीं घूमना चाहते हैं पर समय नहीं है तो घूमने के लिए मूल्यवान समय खोना पड़ेगा यदि कक्षा में प्रथम आना है तो रोज मेहनत करनी पड़ेगी इसका मतलब पढ़ाई का समय ज्यादा और मस्ती का समय कम मिलेगा यदि अच्छी जॉब चाहिए तो बहुत सारी मेहनत करनी पड़ेगी जॉब ढूंढने में अब आपको खुद तय करना है आपको क्या पाने के लिए क्या खोना है यदि आप अपनी मनपसंद चीज पाना चाहते हैं तो कुछ भी होने के लिए तैयार हो जाइए|

* बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पहले लक्ष्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लें |
कक्षा में प्रथम आने के लिए पाठ्यक्रम को  पूरे वर्ष में कैसे खत्म करना है पहले ही तय कर ले| 
जैसे कि आप एक अच्छे लेखक बनना चाहते हैं तो आज से ही अपनी लिखाई में शब्दों के चयन पर ध्यान देना शुरू करदे | रोज कोई ना कोई लेख अवश्य लिखें अगर आप अच्छे खिलाड़ी बनना चाहते हैं तो आप अपने खेल की रुचि के अनुसार आज से ही लक्ष्य प्राप्ति की  शुरुआत कर दे| आपने हाल ही में दंगल फिल्म देखी होगी जिसमें दो बहने बड़ी होकर कुश्ती के खिलाड़ी बनती हैं वह दोनों लक्ष्य प्राप्ति की शुरुआत बचपन से ही शुरु कर देती है बड़े होकर कुश्ती लड़ने के लिए उनके पिता उनके लक्ष्य को छोटे छोटे हिस्से में बांट देते हैं सुबह उठकर दौड़ लगाना अच्छा खान-पान इत्यादि छोटे छोटे लक्ष्य को पूरा करके ही वह बड़े लक्ष्य की ओर अग्रसर होतीे हैं!!

* जिद्दी बने लेख की शुरुआत में ही मैंने आपको बताया था कि कैसे छोटे बालक बड़े लोगों की अपेक्षा अपने लक्ष्य जल्दी प्राप्त कर लेते हैं उन का बस यही कारण होता है कि वह जिद्दी होते हैं उनको डर नहीं सताता ना हारने का ना पिटाई खाने का सोचते कम है करते ज्यादा है परंतु बड़े होने के बाद बालक काम कम करते हैं सोचते ज्यादा है लक्ष्य प्राप्त करने के बारे में सोचो केवल और जो सोचो उसे पूरा करो जैसे आपने सोचा कक्षा में प्रथम आना है तो उसके लिए बहुत मेहनत करेंगे परंतु बस सोचा आपने साथ-साथ यह भी सोचते हो कि पता नहीं कर भी पाएंगे या नहीं सबसे पहले डर को भगा दो सिर्फ सोचो कर पाएंगे और हर हाल में करेंगे फिर आपने जो सोचा उस के बहुत मेहनत करनी होगी तो बस शुरू हो जाइए मेहनत करना फिर जो आपने सोचा है वह सत्य हो जाएगा और बहुत मेहनत करने के बाद फल भी मीठा ही मिलेगा जीतने की जिद हमेशा बनाए रखें

* ट्रायल एंड एरर
जरूरी नहीं है हमेशा आप मेहनत करें और वह सफल हो जाए हो सकता है आप 99 बार मेहनत करें और 100 वी बार आप सफल हो इसका मतलब यह नहीं है कि 99 बार हारने के डर से आप मेहनत ही न करें क्योंकि किसी को भी सफलता एक ही बार में नहीं मिलती सफलता पाने के लिए लगातार अभ्यास करते रहें इसी को जिद्दी होना कहते हैं

* हमेशा अभ्यास करें
जो लोग निरंतर अभ्यास करते हैं सफलता उन्हीं के साथ बनी रहती है सोचिए अगर आप किसी कक्षा में प्रथम आ गए तो क्या आप अगली कक्षा के लिए अभ्यास नहीं करेंगे आपको अभ्यास करते रहना होगा ताकि आप प्रत्येक कक्षा में प्रथम आ सके जैसे पृथ्वी कभी नहीं रुकती समय कभी नहीं रुकता इसी प्रकार आप का अभ्यास भी कभी नहीं रुकना चाहिए

* जैसा बोते हैं वैसा पाते हैं
यदि आप सफल होना चाहते हैं तो अभ्यास इमानदारी से करिएगा तभी आप को सोने से खरी सफलता मिलेगी यदि आपके अभ्यास में कोई कमी रह गई तो आपकी सफलता में भी कमी रह जाएगी क्योंकि हम जैसा बोते हैं वैसा ही हमें मिलता है सोचिए अगर आप बीमार हो गए और आपने दवाई नहीं खाई तो आप ठीक भी देर से होंगे क्योंकि हम जैसा बोते हैं वैसा पाते हैं अगर आपने खुद का ख्याल नहीं रखा तो आप बीमार पड़ सकते हैं इसी प्रकार अच्छी सफलता पाने के लिए अच्छी मेहनत कीजिए!!

लेखिका मेघा जैन


Sunday 5 March 2017

पढ़ाई कैसे करे ?

पढ़ाई कैसे करें ?

प्रिय बच्चों  यह समय वार्षिक परीक्षाओं का है और यह समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है परंतु विद्यार्थी इस समय में बहुत अधिक तनाव ले लेते हैं पढ़ाई का ,
जिससे उनको मानसिक तनाव रहता है इसका प्रभाव उनकी पढ़ाई पर पड़ता है और परीक्षा फल कुछ खास नहीं आ पाता!
  यह तनाव दो कारण से हो सकता है
1.  यदि पूरे वर्ष योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाई ना की हो तो अंत में यह तनाव का कारण बन सकता है
2. यदि पढ़ाई योजनाबद्ध तरीके से की भी हो  तो यह समझ नहीं आता कि उस का अभ्यास कैसे किया जाए!

समस्या नंबर 1 का हल आपको अगले अंक में मिलेगा इस अंक में हम वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी कैसे करें ?
इस विषय पर बात करेंगे! यदि आपकी परीक्षा में केवल 10 दिन भी बचे हैं और आपने पढ़ाई नहीं की है तो भी घबराइए मत इन बातों पर ध्यान दीजिए!

1.. अपने  पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लें समझिए  आपके पास पांच मुख्य विषय है जैसे (विज्ञान, समाजिक ज्ञान,अंग्रेजी, गणित और हिंदी) बाकी कंप्यूटर व जी.के.  इन दो विषयों को साइड में रखें क्योंकि इनके आपको ग्रेडस मिलते हैं और इनकी तैयारी भी जल्दी हो जाती है हिंदी को भी सिर्फ एग्जाम में पढ़िएगा क्योंकि यह हमारी मातृ भाषा है इसलिए जल्दी समझ में आ जाती है!
सोचिए अगर आपके पास 10 दिन है और चार प्रमुख विषय सबको 2-2 दिन दे दीजिए!
2 दिन अंग्रेजी के लिए
2 दिन गणित के लिए
2 दिन विज्ञान के लिए तथा
2 दिन सामाजिक ज्ञान के लिए!
ऐसा करने से अभी भी आपके पास 2 दिन बच जाएंगे उंहें आप बचा कर रखें !
अब आप मान लीजिए अंग्रेजी में आपको पास ज्यादा से ज्यादा 20 पाठ करने हैं तो ,
10 पाठ पहले दिन
10 पाठ दूसरे दिन करिएगा अब इन 10 पाठ को किस तरीके से नियोजित करना है यह देखिए !
एक दिन में हमारे पास 24 घंटे होते हैं इसमें से 8 घंटे सोने के और 4 घंटे बाकी कार्य  करने के , बचे 12 घंटे पढ़ाई के एक घंटा एक चैप्टर लेके चलिए तो भी आपके पास 2 घंटे बच जाएंगे इसी तरीके से आप पढ़ाई के लिए से टाइम मैनेजमेंट करना सीख सकते हैं प्लानिंग करना बहुत जरुरी है नहीं तो हम अपना मूल्यवान समय यूं ही खराब कर देते हैं वैसे तो 20 पाठ बहुत ज्यादा है! परंतु यह उदाहरण मैंने आपको ज्यादा से ज्यादा काम को कम समय पर कैसे करने के लिए बताया है !

2.. अगर आपको जल्दी जल्दी याद नहीं होता है तो आप अपना एक कान पकड़कर  याद करिएगा इसके पीछे भी विज्ञान है  जैसे 100% ध्यान को दो जगह केंद्रित करना एक पढ़ाई दूसरा कान तो इस तरीके से आपका पूरा ध्यान दो जगह बट जाएगा !

3...नियम से पढ़े अब आपको 1 घंटे में एक चैप्टर करना है तो 1 घंटे में 60 मिनट होते हैं मान लीजिए 10 क्वेश्चन करने हैं तो एक क्वेश्चन के लिए 6:00 मिनट मिलेंगे तो आप तय  करके बैठिए  की 30 मिनट से पहले याद किए बिना नहीं उठेंगे !
4. बहुत देर लगातार पढ़ाई ना करें !

5.पूरी नींद ले !

6.ध्यान लगाएं !

7.पढ़ाई करते हुए याद करते समय हाथ पैर में कुछ ना पकड़े ऐसा करने से ध्यान नहीं लगता !

8.पहले से जो याद है पहले उस का अभ्यास करें , नई चीजें शुरू ना करें!