Tuesday 20 June 2017

रहस्यमयी सफलता की कुंजी विद्यार्थी सफलता तक कैसे पहुंचे??

प्रिय विद्यार्थियों इस अंक में हम लक्ष्य की बात करेंगे| लक्ष्य कैसे स्थापित करें ? और उस तक कैसे पहुंचे ? क्या आप जानते हैं लक्ष्य क्या होता है? हम सभी लोग किसी न किसी बात का स्वप्न संजोकर रखते हैं| किसी को कक्षा में प्रथम आना है| किसी को जीवन में ऊंचाई हासिल करनी है| तो किसी को अपना मनपसंद व्यवसाय शुरू करना है| लक्ष्य तो कुछ भी हो सकता है| यदि हम किसी बच्चे से पूछेंगे तो हो सकता है उसके लिए लक्ष्य किसी खिलौने को पाना हो| उम्र के हिसाब से लक्ष्य अलग-अलग हो सकते हैं| हम लक्ष्य को तीन वर्गों में बाटेंगे|
   एक से पांच वर्ष , छह से सोलह वर्ष, सत्रह वर्ष से ऊपर |
1 से 5 वर्ष की आयु के बच्चों का ज्यादातर लक्ष्य किसी खिलौने को पाना होता है | जैसे कि किसी बालक ने दुकान पर कोई खिलौना देखा और उसके लिए चिल्लाना शुरु कर देते हैं अतः माता-पिता को बालक की जिद के सामने घुटने टेक कर बालक को खिलौना दिला देते हैं | तथा वह बालक अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है |  99% इस आयु वर्ग के बालक लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं |
6 से 16 वर्ष की आयु के बालक 10% लक्ष्य की प्राप्ति करते हैं! ऐसा क्यों है ? अचानक इतनी गिरावट क्यों ?? उसका कारण यह है , कि बालक के मस्तिष्क का विकास काफी हद तक हो चुका है | बालक सोचना विचारना शुरू कर देते हैं| इस उम्र में बालको पर सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रकार की बातों का असर पड़ने लगता है|  नकारात्मक बातों का ज्यादा असर होता है| छोटी आयु में बालक को सिर्फ खिलौना मांगने से मतलब होता है| और उसको पता है जिद करने पर यह मिलेगा ही, तो वह तब तक अभ्यास करता है जब तक नहीं मिलता | परंतु थोड़ी बड़ी आयु के बालक सोचते हैं जिद करी तो पिटाई भी हो सकती है जिस कारण वह अभ्यास शुरू करते हैं परंतु जल्दी खत्म भी कर देते हैं !
  इस पड़ाव से शुरू होती है उल्टी गिनती इस बात को समझने की कोशिश कीजिए कक्षा 3 ,4 ,5  तक के विद्यार्थियों का लक्ष्य कक्षा में प्रथम आना नहीं होगा उनका लक्ष्य साइकिल लेना, फुटबॉल लेना, या घड़ी लेना हो सकता है या फिर कोई गेम ! माता-पिता उनके लक्ष्य को लालच में तब्दील कर देते हैं| यदि प्रथम आओगे तो यह पुरस्कार मिल जाएगा परंतु पुरस्कार मिलने के लिए 1 वर्ष का समय लगेगा ! इस बात को याद नहीं रखेगा कई बार ऐसा होता है कक्षा में प्रथम नहीं आया तो भी माता पिता पुरस्कार दिला देते हैं | तो बालक के लिए मेहनत करना जरुरी नहीं रह जाता | उसके लिए लक्ष्य की महत्वता कम हो जाती है | ऐसा क्यों होता है ? इसका कारण यह है कि हम बालक को लक्ष्य तो दे देते है |पर उसको लक्ष्य हासिल करना नहीं सिखाते है ! बालक को लंबे समय का लक्ष्य ना दें बालक को रोज एक लक्ष्य दे जैसे साइकिल का चित्र उसके कमरे में चिपका दे ! और उसको बोलें कि यदि आपको यह साइकिल चाहिए तो आपको 3650 रुपए कमाने होंगे यह साइकिल खरीदने के लिए उसको रोज एक पाठ याद करना है या फिर रोज आपको होमवर्क कंप्लीट करना है जिसके लिए आपको ₹10 मिलेंगे ! आपके अकाउंट में जमा कर दिए जाएंगे| और जब आपके पैसे पूरे हो जाएंगे तो आपको आपकी साइकिल मिल जाएगी | इससे बालक नियमित रूप से रोज कार्य करेंगे मन लगाकर पढ़ेंगे | यह बात कक्षा पांच तक लागू होती है|
  कक्षा 6 से बालक अपना लक्ष्य बनाना शुरु कर देते हैं| परंतु समझ नहीं पाते कैसे पूरा करें ? जिस कारण वह असफल हो जाते हैं कक्षा पांच तक माता पिता  बालकों की मदद करें लक्ष्य बनाने में, उसके बाद कक्षा 6 से उनकी मदद करें लक्ष्य पूरा करने मे, समझिए कक्षा छह के बालक अपना लक्ष्य बनाया कक्षा में प्रथम आने का तो माता-पिता बालक को प्रथम आने के तरीका बताएं कैसे पाठ्यक्रम को छोटे छोटे हिस्से करके समाप्त करें कैसे पाठ्यक्रम को पूरा समझे ? ध्यान कैसे लगाएं?  बालक को समस्या ना बताएं जैसे कि यदि वह गणित में कमजोर है तो उससे उल्टा प्रश्न ना करें कि आप कैसे सफल हो पाएंगे ? नकरात्मक प्रभाव ना डालें कि आप से तो होगा कि नहीं इससेे बालक लक्ष्य को  बीच में ही छोड़ सकता है | बालक को समाधान बताएं कि गणित कैसे अच्छी करे ?  यदि आपको भी कुछ हल कुछ ना समझ में आए तो शिक्षक से संपर्क कर सकते है| हो  सकता है बालक को घर पर तो  पूरा सहयोग मिलता हो  परंतु कक्षा में अन्य विद्यार्थी उसको चिढ़ाते हो जिससे उसका मनोबल टूट सकता है तो भी आपको ही सहयोग देना है | कि कोई कुछ भी कहे उसे फर्क ना पड़े लक्ष्य की और बढ़ता रहे | जीवन की छोटे छोटे लक्ष्य ही बड़े  लक्ष्यों का रूप लेते है| एक बार बालक को लक्ष्य पूरा करने की आदत हो जाएगी तो  वह जीवन में कोई भी कार्य अधूरा नहीं छोड़ेगा !!
  यहां आपको एक उदाहरण देना चाहूंगी | माता-पिता के तौर पर आप अपना बचपन याद कीजिए जब आप स्कूल क्या कॉलेज में होंगे आपके अंदर जुनून होगा कुछ कर दिखाने का परंतु यह जुनून धीरे-धीरे वक्त के साथ फीका पड़ जाता है | जब उचित निर्देश पर मार्गदर्शन नहीं मिल पाता | शादी के बाद जब खुद के बालक होते हैं तो वह सपने पूरा करने का बोझ बालकों को दे देते हैं ! परंतु  उनकी मदद नहीं करते लक्ष्य पूरा करने में , शायद कक्षा में प्रथम आना व साइकिल खरीदना आपको छोटी बात लगे परंतु यह बड़े लक्ष्य की शुरुआत हो सकती है ! आपके लिए लक्ष्य सिर्फ पढ़ लिखकर अच्छा कमाना होगा परंतु खुद ही सोचिए यदि शिशु बिना गिरे चलना सीख जाए | आप घर से निकले बिना ऑफिस पहुंच जाएं | खाने की तैयारी किए बिना आपका खाना तैयार हो जाए ऐसा संभव नहीं है!  जब तक छोटे-छोटे कार्य नहीं करेंगे तो बड़ा कार्य कैसे पूरा होगा यदि आप आलू बनाना चाहते हैं तो पहले आपको बाजार जाना होगा, आलू खरीदने होंगे लाकर छीलनेे होंगे, फिर काटना होगा, तथा आलू को छोकना होगा तब जाकर आलू बनेंगे अगर छोटे कार्य पूरे ना किए होते तो आलू ना बनते | इसी प्रकार अपने बालक को भी लक्ष्य प्राप्त करने की आदत डालें ताकि वह बड़े सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ सके | 17 वर्ष से ऊपर की आयु में लक्ष्य प्राप्ति 1% से भी कम हो जाती है इसका क्या कारण है जब बालक विद्यालय में होता है तो वह लक्ष्य हासिल करने में असफल रहता है तो उसे यकीन हो चलता है कि उसके साथ कुछ भी अच्छा नहीं होगा या फिर वह सिर्फ एक औसत जीवन ही जी सकता है 16 वर्ष की आयु में जब बालक स्कूल से कॉलेज की ओर कदम बढ़ाते हैं तब तक उनका आधे से ज्यादा विश्वास खत्म हो चुका होता है बड़ा दुख होता है जब 18 वर्ष की आयु से कोई युवा 7000 से 8000 की नौकरी करने की तलाश करते हैं पार्ट टाइम जॉब के लिए , क्योंकि कहीं ना कहीं उनको लक्ष्य को प्राप्त करना बस एक सपना लगता है यदि वह कोई सपना देखते भी हैं तो उनको लगता है पूरा होगा भी या नहीं इसलिए जरूरी है यह विश्वास बचपन से ही पैदा कर दिया जाए बाल को में!
   इस अंक में मैं आपको लक्ष्य प्राप्ति के कुछ टिप्स दूंगी ताकि आप जो कुछ भी करते हो उसे बेहतर बनाने में आपको मदद मिले इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना भी पड़ेगा यदि आप सच में अपना जीवन बदलना चाहते हैं     1. कुछ पाने के लिए कुछ खोना जरुरी है
2. बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छोटे छोटे लक्ष्य बनाएं
3. जिद्दी बन जाए
4. ट्रायल एंड एरर करें
5. अभ्यास हमेशा करें
6. जैसा बोते हैं वैसा पाते हैं यह प्रकृति का नियम है


* पहले नियम को समझे कुछ पाने के लिए कुछ खोना जरुरी है इस बात को कुछ उदाहरणों से समझे
जैसे यदि आप पिज़्ज़ा तो आपको कुछ रुपयों की रुपयों को खोना पड़ेगा यदि आप अच्छा व स्वादिष्ट खाना खाना चाहते हैं तो उसमे समय व मेहनत दोनों को खोना पड़ेगा यदि कहीं घूमना चाहते हैं पर समय नहीं है तो घूमने के लिए मूल्यवान समय खोना पड़ेगा यदि कक्षा में प्रथम आना है तो रोज मेहनत करनी पड़ेगी इसका मतलब पढ़ाई का समय ज्यादा और मस्ती का समय कम मिलेगा यदि अच्छी जॉब चाहिए तो बहुत सारी मेहनत करनी पड़ेगी जॉब ढूंढने में अब आपको खुद तय करना है आपको क्या पाने के लिए क्या खोना है यदि आप अपनी मनपसंद चीज पाना चाहते हैं तो कुछ भी होने के लिए तैयार हो जाइए|

* बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पहले लक्ष्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लें |
कक्षा में प्रथम आने के लिए पाठ्यक्रम को  पूरे वर्ष में कैसे खत्म करना है पहले ही तय कर ले| 
जैसे कि आप एक अच्छे लेखक बनना चाहते हैं तो आज से ही अपनी लिखाई में शब्दों के चयन पर ध्यान देना शुरू करदे | रोज कोई ना कोई लेख अवश्य लिखें अगर आप अच्छे खिलाड़ी बनना चाहते हैं तो आप अपने खेल की रुचि के अनुसार आज से ही लक्ष्य प्राप्ति की  शुरुआत कर दे| आपने हाल ही में दंगल फिल्म देखी होगी जिसमें दो बहने बड़ी होकर कुश्ती के खिलाड़ी बनती हैं वह दोनों लक्ष्य प्राप्ति की शुरुआत बचपन से ही शुरु कर देती है बड़े होकर कुश्ती लड़ने के लिए उनके पिता उनके लक्ष्य को छोटे छोटे हिस्से में बांट देते हैं सुबह उठकर दौड़ लगाना अच्छा खान-पान इत्यादि छोटे छोटे लक्ष्य को पूरा करके ही वह बड़े लक्ष्य की ओर अग्रसर होतीे हैं!!

* जिद्दी बने लेख की शुरुआत में ही मैंने आपको बताया था कि कैसे छोटे बालक बड़े लोगों की अपेक्षा अपने लक्ष्य जल्दी प्राप्त कर लेते हैं उन का बस यही कारण होता है कि वह जिद्दी होते हैं उनको डर नहीं सताता ना हारने का ना पिटाई खाने का सोचते कम है करते ज्यादा है परंतु बड़े होने के बाद बालक काम कम करते हैं सोचते ज्यादा है लक्ष्य प्राप्त करने के बारे में सोचो केवल और जो सोचो उसे पूरा करो जैसे आपने सोचा कक्षा में प्रथम आना है तो उसके लिए बहुत मेहनत करेंगे परंतु बस सोचा आपने साथ-साथ यह भी सोचते हो कि पता नहीं कर भी पाएंगे या नहीं सबसे पहले डर को भगा दो सिर्फ सोचो कर पाएंगे और हर हाल में करेंगे फिर आपने जो सोचा उस के बहुत मेहनत करनी होगी तो बस शुरू हो जाइए मेहनत करना फिर जो आपने सोचा है वह सत्य हो जाएगा और बहुत मेहनत करने के बाद फल भी मीठा ही मिलेगा जीतने की जिद हमेशा बनाए रखें

* ट्रायल एंड एरर
जरूरी नहीं है हमेशा आप मेहनत करें और वह सफल हो जाए हो सकता है आप 99 बार मेहनत करें और 100 वी बार आप सफल हो इसका मतलब यह नहीं है कि 99 बार हारने के डर से आप मेहनत ही न करें क्योंकि किसी को भी सफलता एक ही बार में नहीं मिलती सफलता पाने के लिए लगातार अभ्यास करते रहें इसी को जिद्दी होना कहते हैं

* हमेशा अभ्यास करें
जो लोग निरंतर अभ्यास करते हैं सफलता उन्हीं के साथ बनी रहती है सोचिए अगर आप किसी कक्षा में प्रथम आ गए तो क्या आप अगली कक्षा के लिए अभ्यास नहीं करेंगे आपको अभ्यास करते रहना होगा ताकि आप प्रत्येक कक्षा में प्रथम आ सके जैसे पृथ्वी कभी नहीं रुकती समय कभी नहीं रुकता इसी प्रकार आप का अभ्यास भी कभी नहीं रुकना चाहिए

* जैसा बोते हैं वैसा पाते हैं
यदि आप सफल होना चाहते हैं तो अभ्यास इमानदारी से करिएगा तभी आप को सोने से खरी सफलता मिलेगी यदि आपके अभ्यास में कोई कमी रह गई तो आपकी सफलता में भी कमी रह जाएगी क्योंकि हम जैसा बोते हैं वैसा ही हमें मिलता है सोचिए अगर आप बीमार हो गए और आपने दवाई नहीं खाई तो आप ठीक भी देर से होंगे क्योंकि हम जैसा बोते हैं वैसा पाते हैं अगर आपने खुद का ख्याल नहीं रखा तो आप बीमार पड़ सकते हैं इसी प्रकार अच्छी सफलता पाने के लिए अच्छी मेहनत कीजिए!!

लेखिका मेघा जैन


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