प्रतिदिन हमारे मस्तिष्क में कितने प्रकार के विचार उत्पन्न होते हैं सकारात्मक व नकारात्मक। कभी आपने सोचा है? इन विचारों से हमारे मस्तिष्क पर कैसा प्रभाव पड़ता है?
सकारात्मक विचार हमें मानसिक रूप से स्वस्थ व खुश रखते हैं परंतु नकारात्मक विचार उतने ही भयावह होते हैं जो हमारे मस्तिष्क की उपजाऊता व विकास को शून्य पर लाकर रख देते हैं आज हम इसी तरह से उत्पन्न नकारात्मक विचारों से होने वाले मानसिक प्रदूषण के विषय में बात करेंगे।
आपने विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के बारे में सुना वह पढ़ा होगा जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, थल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण इत्यादि।
परंतु कभी आपने मानसिक प्रदूषण के विषय में नहीं पढ़ा होगा। प्रदूषण कोई भी हो हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। अब प्रश्न उठता है मानसिक प्रदूषण उत्पन्न कैसे होता है? उसके क्या कुप्रभाव हो सकते हैं? और इससे कैसे बचा जा सकता है?
मानसिक प्रदूषण के निम्न कारणों में से, एक कारण है।- मस्तिष्क में बुरे विचारों का आगमन, जो हमारे मानसिक प्रदूषण का कारण बनता है। और आज के व्यस्त जीवन में जहां सब खुद में और काम में इतना व्यस्त हैं, कि उनके आसपास किशोरावस्था के बालक जो इस समय इस समस्या से सबसे अधिक ग्रस्त हैं। उन पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।
किशोरावस्था वह अवस्था व समय होता है, जिसमें बालक का सामाजिक और व्यक्तित्व का विकास होता है। इस समय किशोरों में एक जुनून भी होता है कुछ कर दिखाने का इस जुनून को सही दिशा देने की जरूरत है आप सभी अपने बच्चों के लिए ही यही चाहते होंगे ना।
जहां माता-पिता दोनों कार्यशील होते हैं तो वह अपने किशोर बालकों पर उतना ध्यान नहीं दे पाते जिस कारण बालक ज्यादा समय अकेले रहते हैं या अपना समय सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिताते हैं सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बालक का मन विचलित हो सकता है वह सोशल नेटवर्किंग साइट से कुछ गलत गतिविधियों का हिस्सा बन सकता है यह समस्या आज के आधुनिक समय में सबसे ज्यादा किशोरों में है। मन में बुरे विचार सिर्फ किशोरों के मन में ही नहीं आते इसका शिकार तो हम सब हैं कहते हैं ना खाली दिमाग शैतान का घर होता है यह कथन बिल्कुल सत्य है क्योंकि अगर कोई चोर है, कोई झूठ बोलता है, और अगर कोई किसी का मर्डर कर सकता है।हम आए दिन कितने सारे रेप केस के बारे में पढ़ते हैं तो यह सब मानव की खराब मानसिकता के कारण ही तो होता है अगर इस खराब मानसिकता को ही खत्म कर दिया जाए तो इसके परिणाम सकारात्मक होंगे लोगों को ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षित किया जाए इससे बचने के लिए।
मानसिक प्रदूषण के कुप्रभाव निम्नलिखित है।-
बालक गलत रास्ते पर जा सकते हैं।
मानसिक विकास कम होता है।
पढ़ाई लिखाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बच्चे बड़ों का सम्मान नहीं करते।
आज्ञा का पालन नहीं करते और अनुशासन हीन बन जाते हैं। जीवन में अनुशासन ना हो तो बालक अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाते।
क्रोध आना स्वभाविक है।
सही और गलत का फैसला न कर पाना।
झूठ बोलना।
किशोरावस्था में इस प्रकार के मानसिक प्रदूषण से बचाने के लिए क्या करें।-
हमें अपने किशोर बालकों से ज्यादा से ज्यादा बातें करनी चाहिए उनके साथ समय बिताना चाहिए।
उन्हें किसी न किसी कार्य में व्यस्त रख सकते हैं जो उनकी पसंद का हो जैसे- फुटबॉल इससे शारीरिक विकास भी होता है और मानसिक स्फूर्ति भी आती है।
कला करने के लिए उन्हें प्रेरित कर सकते है। इससे मन प्रसन्न होता है और सृजनात्मक बनता है
उनको मेडिटेशन करने के लिए प्रेरित करें इससे दिमाग शांत रहता है वह तेज होता है
अगर उन्हें टेक्नोलॉजी पसंद है तो उनका मार्गदर्शन करें टेक्नोलॉजी को सही रूप से कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।क्योंकि आज के युग में हम अपने बालकों को टेक्नोलॉजी से वंचित भी नहीं रख सकते।
उनको अच्छी किताबें पढ़ने के लिए ताकि उनके मन में सकारात्मक विचार आए उनको उत्साहित करें आगे बढ़ने के लिए।
मानसिक प्रदूषण पर चर्चा जारी रहेगी मानसिक प्रदूषण को लेकर आप भी अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं