क्या कोई निर्जीव वस्तु किसी सजीव प्राणी को जन्म दे सकती है ? बिल्कुल नहीं तो यह पृथ्वी निर्जीव कैसे हो सकती है |
पृथ्वी पर जीवन करोड़ो वर्षो से है पृथ्वी से ही जीवन है । पेडो का विकास होना किस पर निर्भर हैँ उपजाऊ मृदा पर और यह मृदा किस का अंश है पृथ्वी का | यदि उपजाऊ मृदा ही न हो तो वृक्षो का अस्तित्व ही ना होगा तो पृथ्वी निर्जीव कैसे हो सकती हैँ।
एक सजीव प्राणी के सजीव होने के लक्षण :
1. सजीव प्राणी ही किसी सजीव को जन्म दे सकता है।पृथ्वी पर वृक्षो, जानवरो,व मनुष्यो का अस्तित्व पृथ्वी के सजीव होने का संकेत देता हैं |
2. सजीव प्राणी मे हर क्षण सोते समय भी साँस लेने की क्रिया होती हैं। जिस कारण एक गतिविधि हमेशा एक जीवित व्यक्ति मेँ देखा जाता हैं। इस प्रकार पृथ्वी भी तो किसी भी क्षण नहीँ रुकती यह सूर्य का चक्कर लगाती रहती हैं।
3. सजीव प्राणी मेँ पाचन क्रिया व मल मूत्र विसर्जन की प्रक्रिया होती हैं। इसी प्रकार पृथ्वी भी तो भोजन के रुप मेँ निर्जीव पेड पौधे व मनुष्यो को ग्रहण कर मल- मूत्र विसर्जन क्रिया में पेट्रोल कोयला आदि विसर्जित करती हैं।
4. सजीव प्राणी मेँ 70 प्रतिशत पानी होता है। पृथ्वी पर भी तो 70 प्रतिशत पानी है।
5. सजीव प्राणी की सबसे छोटी इकाई कोशिका होती हैं।मनुष्य जानवर पशु पक्षी ये सब भी तो इतनी बडी विशालकाय पृथ्वी पर कोशिका के समान हैँ।
6. सजीव प्राणी मेँ प्रजनन की प्रक्रिया 13 से 14 वर्ष के बाद शुरु होती है। जो 18 से 20 वर्ष मे जाकर शिशु को जन्म देने के लिए परिपक्व होती है। इसी प्रकार ऐसा प्रतीत होता है जैसे सभी ग्रहो मेँ अभी सिर्फ़ पृथ्वी ही परिपक्कव हुई है, तथा बाकी सभी गृह अभी शिशु अवस्था या किशोर अवस्था (जैसे मंगल गृह) में हो।
सजीव प्राणी साँस लेने की प्रक्रिया मेँ ऑक्सीजन लेते व कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं | इसी प्रकार पृथ्वी पेड़ो के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड लेती व ऑक्सीजन छोड़ती हैं, यदि वृक्ष न हो तो पृथ्वी पर जीवन भी न होगा सही तो है| वृक्ष न होंगे तो पृथ्वी भी न रहेगी न मानव जीवन |
आज मनुष्य ने वैज्ञानिक तकनीकी मेँ इतनी तरक्की कर ली है, इतने सूक्ष्म यंत्र बना लिए है, जिससे मनुष्य सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव को देख सकता हैं| मनुष्य को पता है, सूक्ष्म जीवो का अस्तित्व है पर क्या सूक्ष्म जीव को पता है इतने बड़े जीव का भी अस्तित्व हो सकता हैं | इसी प्रकार हम मनुष्य भी पृथ्वी पर सूक्ष्म जीव की तरह है, शायद हम इतने सूक्ष्म जीव हैं कि इतने बड़े जीव की कल्पना ही नही कर पा रहे हैं |
1. सजीव प्राणी ही किसी सजीव को जन्म दे सकता है।पृथ्वी पर वृक्षो, जानवरो,व मनुष्यो का अस्तित्व पृथ्वी के सजीव होने का संकेत देता हैं |
2. सजीव प्राणी मे हर क्षण सोते समय भी साँस लेने की क्रिया होती हैं। जिस कारण एक गतिविधि हमेशा एक जीवित व्यक्ति मेँ देखा जाता हैं। इस प्रकार पृथ्वी भी तो किसी भी क्षण नहीँ रुकती यह सूर्य का चक्कर लगाती रहती हैं।
3. सजीव प्राणी मेँ पाचन क्रिया व मल मूत्र विसर्जन की प्रक्रिया होती हैं। इसी प्रकार पृथ्वी भी तो भोजन के रुप मेँ निर्जीव पेड पौधे व मनुष्यो को ग्रहण कर मल- मूत्र विसर्जन क्रिया में पेट्रोल कोयला आदि विसर्जित करती हैं।
4. सजीव प्राणी मेँ 70 प्रतिशत पानी होता है। पृथ्वी पर भी तो 70 प्रतिशत पानी है।
5. सजीव प्राणी की सबसे छोटी इकाई कोशिका होती हैं।मनुष्य जानवर पशु पक्षी ये सब भी तो इतनी बडी विशालकाय पृथ्वी पर कोशिका के समान हैँ।
6. सजीव प्राणी मेँ प्रजनन की प्रक्रिया 13 से 14 वर्ष के बाद शुरु होती है। जो 18 से 20 वर्ष मे जाकर शिशु को जन्म देने के लिए परिपक्व होती है। इसी प्रकार ऐसा प्रतीत होता है जैसे सभी ग्रहो मेँ अभी सिर्फ़ पृथ्वी ही परिपक्कव हुई है, तथा बाकी सभी गृह अभी शिशु अवस्था या किशोर अवस्था (जैसे मंगल गृह) में हो।
सजीव प्राणी साँस लेने की प्रक्रिया मेँ ऑक्सीजन लेते व कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं | इसी प्रकार पृथ्वी पेड़ो के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड लेती व ऑक्सीजन छोड़ती हैं, यदि वृक्ष न हो तो पृथ्वी पर जीवन भी न होगा सही तो है| वृक्ष न होंगे तो पृथ्वी भी न रहेगी न मानव जीवन |
आज मनुष्य ने वैज्ञानिक तकनीकी मेँ इतनी तरक्की कर ली है, इतने सूक्ष्म यंत्र बना लिए है, जिससे मनुष्य सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव को देख सकता हैं| मनुष्य को पता है, सूक्ष्म जीवो का अस्तित्व है पर क्या सूक्ष्म जीव को पता है इतने बड़े जीव का भी अस्तित्व हो सकता हैं | इसी प्रकार हम मनुष्य भी पृथ्वी पर सूक्ष्म जीव की तरह है, शायद हम इतने सूक्ष्म जीव हैं कि इतने बड़े जीव की कल्पना ही नही कर पा रहे हैं |
परंतु पृथ्वी हम जैसे सूक्ष्मजीव को देख सकती है,जैसे सूरज एक तारा है, और सूर्य के चारोओर परिक्रमा कर रहे है| इन ग्रहो मे से पृथ्वी पर जीवन है, इसी प्रकार आकाश मे कितने ही तारे है, तो हो सकता है, उन सभी तारो के चारो ओर भी गृह चक्कर लगाते हो और उन ग्रहो मे से किसी ग्रह पर जीवन हो और इस प्रकार पूरे बृहमांड मे ये भी समाज की तरह रहते हो जैसे एक मकडी घर के किसी भी कोने मे जाला बुनकर रहने लगती है क्या उसे पता हे मनुष्य जीवन के बारे में ? उसी प्रकार मनुष्य है जो पृथ्वी पर मकान बना कर रह रहा है और उसे नही पता पृथ्वी के जीवन के बारे मे एक प्रकार की चीज हमेशा झुण्ड मे क्यू रहते है क्या वे अपने समाज की रचना करते है ???
– लेखिका मेघा जैन (vrutika)